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मां चंडी और परमेश्वरी मंदिर से मध्यरात्रि में निकलेगा खप्पर : खप्पर निकालने की वर्षो पुरानी परंपरा

कवर्धा। चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन जहां मंदिरों में विशेष हवन-पूजन होगा, वहीं अर्धरात्रि को मां चंडी और परमेश्वरी मंदिर से खप्पर निकलेगा। नवरात्र पर अष्टमी मध्यरात्रि को खप्पर निकालने की परंपरा आज भी कवर्धा में कायम है। क्वांर नवरात्र में शहर के तीन मंदिर से मध्य रात्रि को खप्पर निकाला जाता है। वहीं चैत्र नवरात्र में दाे मंदिर से निकलता है। मान्यता है कि देवी स्वरूप में खप्पर लेकर पंडा जब नगर भ्रमण करता है, तो शहर में किसी भी प्रकार की बीमारी, आपदा नहीं आती। शहर में सुख-शांति बनी रहती है। इस बार भी शहर के कुम्हार पारा स्थित मां चंडी मंदिर और परमेश्वरी मंदिर से अष्टमी की रात 12.15 बजे खप्पर निकलेगा।

मां चंडी मंदिर का इतिहास आज से लगभग 150 साल पुराना माना जाता है। पुराविदों के अनुसार वर्ष 1944-45 में भाटापारा के रहने वाले मिठईया देवांगन और उसके भाई इतवारी देवांगन कवर्धा के कुम्हार पारा में आकर बसे थे। मां चंडी उनकी कुल देवी थी। दोनों भाई माता की सेवा करते थे और खप्पर भी निकालते थे। चंडी मंदिर के पंडा तिहारी चंद्रवंशी ने बताया कि जब दोनों बुजुर्ग हुए, तो वर्ष 1978 में मोहल्लेवासियों को मां चंडी की सेवा की जिम्मेदारी सौंप दी।

तब समिति गठित कर यदुनंदन बख्शी को अध्यक्ष बनाया गया। वर्तमान में जहां मंदिर है, उसी स्थान पर ही झोपड़ी थी, जहां माता चंडी को विराजित किया गया। 1982 में जनसहयोग से मंदिर निर्माण शुरू किया गया। शुरुआत में यहां मात्र दो ही ज्योत प्रज्ज्वलित किए जाते थे। आज यहां 150 के लगभग ज्योति कलश प्रज्ज्वलित कराए जा रहे हैं। मंदिर में मिठईयां देवांगन और इतवारी देवांगन के बाद रामलाल देवांगन, जोधू, प्रहलाद देवांगन, सुंदर देवांगन, तिहारी चंद्रवंशी खप्पर लेकर निकले थे।

खप्पर की रात 300 से ज्यादा जवानों की ड्यटी

महाष्टमी की मध्य रात्रि को शहर के दो मंदिर से खप्पर निकलेगा। खप्पर दर्शन करने हजारों की संख्या में भीड़ रहने का अनुमान है। इसे देखते हुए पुलिस ने चौक चाैबंद व्यवस्था शुरू कर दी गई है। एसपी डाॅ. लाल उमेंद सिंह ने बताया कि खप्पर के गुजरने वाले मार्ग को नो व्हीकल जोन बनाया जाएगा। जिला पुलिस बल और 17 वीं बटालियन से 300 जवानों की ड्यूटी लगाई गई है। बड़ी गाड़ियों को रात 1 बजे तक नो एंट्री रहेगी। वहीं शहर दर्शन करने आने वाले लोगों को लिए भी अलग व्यवस्था की गई है। चारपहिया वाहनों से आने वालों के लिए शहर के आउटर भाजपा कार्यालय के बाद, सरदार पटेल मैदान और बिलासपुर मार्ग पर ट्रांसपोर्ट नगर में पार्किंग की व्यवस्था है।

निर्धारित मार्ग से निकलेगी खप्पर

जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन तथा नगर में नगरवासियों को मंदिर समिति के द्वारा आम सूचना दिए जाने के बाद परंपरागत निर्र्धारित मार्ग से होते हुए खप्पर पुनः मंदिर प्रांगण पहुंचता है। इन मागोर् पर स्थापित देवी तथा देवताओं का विधिवत आहृवान किया जाता है। खप्पर की वेशभूषा में वीर रूपी एक अगवान भी निकलता है,जो दाहिने हाथ में तलवार लेकर खप्पर के लिए रास्ता साफ करता है। खप्पर के पीछे-पीछे पंडों का एक दल पूजा अर्चना करते हुए साथ रहता है।

चंडी मंदिर में 1996 से बंद हो गई परंपरा, 2008 से फिर शुरू

चंडी मंदिर में वर्ष 1996 में खप्पर निकालने की परंपरा बंद कर दी गई थी। हालांकि इसके पीछे क्या कारण था, यह स्पष्ट नहीं हो पाया। इसके बाद वर्ष 2008 में अखिलेश मिश्रा के अध्यक्ष बनने के बाद से खप्पर परंपरा फिर शुरू हुई। जो आज तक अनवरत जारी है। जब दोबारा खप्पर निकाला गया, तब दद्दू चंद्रवंशी खप्पर लेकर और मनोहर साहू अगुवा के रुप में निकले थे।

मंदिरों में होगा हवन-पूजन व कन्या भोज

नगर के मां चंडी, महामाया, विन्ध्यवासिनी, काली, शीतला, सिंहवाहिनी, परमेश्वरी सहित सभी देवी मंदिरों में सुबह 10.30 बजे के बाद हवन-पूजन का कार्य किया जाएगा। तत्पश्चात कन्या भोज कराया जाएगा। मंदिर समितियों ने इसकी सारी तैयारियां पूरी कर ली है। हवन में पहले ब्राम्हणों द्वारा हवन पूर्ण करने के बाद ही अन्य लोगों द्वारा सामूहिक रूप से पूर्णाहुति दी जाएगी।

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