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मार्च का मिजाज मानसून जैसा :तेज हवा और गरज-चमक के साथ हुई बारिश कई जगह हुए ओलावृष्टि,फसलों को भारी नुकसान, आफत की बारिश ने किसानों की बढ़ाई मुश्किलें

कवर्धा। पूरे प्रदेश में बदले मौसम से मार्च में मानसून जैसा एहसास होने लगा। तेज हवा और बारिश से तापमान में गिरावट दर्ज किया गया जिससे घरों में पंखे बंद हो गए। अचानक बदले मौसम से एक बार फिर लोगों ने कंबल निकाल लिए।वहीं, तेज हवा से कई स्थानों पर बिजली के तार टूटने से देर रात तक अंधेरा छाया रहा। कई जगहों पर लगे होर्डिंग भी फट गए। कई जगह अंधेरा छा गया। देर रात बिजली को सुधारने में कर्मचारी जुटे रहे। वहीं, बारिश से कई जगहों पर तो पानी भर गया।

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि एक द्रोणिका पूर्वी राजस्थान और उससे लगे पश्चिम मध्य प्रदेश से उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी तक उत्तर छत्तीसगढ़ होते हुए 0.9 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। एक द्रोणिका दक्षिणी कर्नाटक से पश्चिम विदर्भ तक 0.9 ऊंचाई तक विस्तारित है।

एक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती परिसंचरण पूर्वी राजस्थान और उससे लगे पश्चिम मध्य प्रदेश के ऊपर 1.5 किलोमीटर ऊंचाई तक फैला हुआ है। दूसरा चक्रीय चक्रवाती परिसंचरण पश्चिम राजस्थान उसके आसपास 1.5 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। सोमवार को कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है।

जिले में एकाएक बदले मौसम के कारण किसान चिंतित है क्योंकि रबी फसलों को बारिश और ओलावृष्टि से नुकसान पहुंच सकता है। दो दिनों तक हुई बारिश का सबसे अधिक जो फल अभी छोटे हैं या फिर फूल व मौर लगे हैं उन्हें अधिक नुकसान का अनुमान है। मुख्य रूप से आम में यदि मौर लगा हो या आम बेहद छोटे हो तो झड़ सकते हैं। इसी तरह से खरबूज को नुकसान हो सकता है क्योंकि यह जमीन से लगे हुए हैं। यदि पानी निकासी की बेहतर व्यवस्था नहीं होती तो यह सड़ सकते हैं। इसके अलावा सब्जी को नुकसान होगा। लगातार बारिश से उसमें फंगल लग सकते हैं। वहीं बारिश दो दिन और होती है तो कीट-व्याधि का प्रकोप बड़ जाएगा।

हो सकता है नुकसान

चना 50 प्रतिशत से अधिक कट चुका है, लेकिन इन्हें भी नुकसान हो सकता है यदि यह ढेर पर रखे हुए हो। पानी ठहरेगा तो काले धब्बे पड़ सकते हैं। वहीं गेंहू अभी बढ़त की ओर तो अधिक नुकसान नहीं है हालांकि खेतों में खड़ी फसल गिर सकते हैं। वहीं लेट वरायटी के गेंहू के लिए फायदेमंद बारिश है।

लगातार बारिश होती है तो फसलों को नुकसान है। गेंहू की खड़ी फसलें गिर सकती है। चने जो कट चुके हैं ढेर लगाए हैं पानी निकासी नहीं होने पर खराब हो सकते हैं। यही स्थिति खरबूज की है क्योंकि यह नीचे रहते हैं तो नुकसान हो सकता है। – डॉ.बीपी त्रिपाठी, कृषि वैज्ञानिक

दोपहर से शाम तक हुई ओलावृष्टि

जिले के सुदूर वनांचल ग्राम चिल्फी सहित आसपास झमाझम बारिश के साथ ओले भी बरसे। दोपहर बाद मौसम बदला नजर आया। शाम होते-होते तेज हवा के साथ बारिश शुरू हो गई। उसके बाद फिर ओले ने जगह ले ली। सड़क, घर की छत, झोपड़ी हर जगह ओले नजर आने लगा। कुछ देर के लिए जनजीवन थम सा गया। ओले गिरने के बाद ठंडकता बढ़ गई। हवा काफी सर्द हो गई। ओले गिरने से चिल्फी क्षेत्र के सब्जी की खेती को नुकसान हो सकता है।

फिर से निकले स्वेटर और शॉल

बारिश केवल वनांचल तक ही सीमित नहीं रहा। जिले के वनांचल व मैदानी इलाके में भी शाम के समय झमाझम बारिश हुई। थोड़ी देर के लिए तो पुराने कंबल, स्वेटर फिर से बाहर निकालने की नौबत आ गई। क्योंकि ओला वृष्टि के चलते ठंडकता बढ़ गई। रुक-रुककर हो रही बारिश ने ठिठुरन और बढ़ा दी। लोग ठंड के मौसम की तरह आग के पास दुबक कर बैठे रहे।

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