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मानसून में कवर्धा में बढ़ी मौसमी बीमारियां : शासन से की गई मच्छरदानी की डिमांड,कांग्रेस का साय सरकार पर प्रहार

कवर्धा।छत्तीसगढ़ में मानसून में बढ़ रही बीमारियों को लेकर हेल्थ विभाग अलर्ट है. इस बीच सरकार की ओर से कई योजनाएं भी चलाई जा रही है. मलेरिया से निपटने के लिए कवर्धा जिला में साल 2022 के बाद से एक भी मच्छरदानी वितरण नहीं होने से लोग नाराज है. इस वजह से जिले के वनांचल क्षेत्र के कई गांवों में मलेरिया के मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने शासन से लगभग 96 हजार से अधिक मच्छरदानी की मांग की है. ताकि मानसून में मलेरिया पर नियंत्रण पाया जा सके.

2022 के बाद से नहीं बांटी गई मच्छरदानी: कवर्धा जिले का अधिकांश हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है. यहां विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति के लोग रहते हैं. सरकार भले ही इस विशेष समुदाय के लोगों के विकास का प्रयास कर रही हो, लेकिन सबसे जरूरी स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार करने की आवश्यकता है. खासकर बरसात के दिनों में कुछ चिन्हांकित क्षेत्र हैं, जहां हर साल मौसमी बीमारियों के साथ-साथ मलेरिया के मामले सामने आते हैं. इसके बावजूद जिले में साल 2022 के बाद से अब तक यहां मच्छरदानी वितरण नहीं हुआ है.

कांग्रेस का साय सरकार पर प्रहार: कांग्रेस इस मामले में हमलावर हैं. कांग्रेस पूर्व जिलाध्यक्ष नीलकंठ चन्द्रवंशी ने कहा कि, “समय रहते मच्छरदानी वितरण किया गया होता तो वनांचल क्षेत्र में मौसमी बीमारी अपना पैर नहीं पसारती. इस लापरवाही के चलते डायरिया, मलेरिया जैसे गंभीर मौसमी बीमारी से लोग प्रभावित हैं. कुछ लोगों की मौत भी हो चुकी है. अगर अब भी शासन प्रशासन नहीं जागती है और मच्छरदानी वितरण नहीं करती है, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.”

“पिछले साल 2022 से जिले में मच्छरदानी का वितरण नहीं हुआ है. कुछ एक जगहों पर मलेरिया के मरीज मिले हैं, जहां लगभग 100 मच्छरदानी वितरण किया गया था, लेकिन जिले के तीनों ब्लॉक में आवश्यक है. क्योंकि वनांचल में मच्छरों का प्रकोप अधिक होता है. हमने सरकार से 96 हजार 300 मच्छरदानी की मांग की है, ताकि ग्रामीणों को मच्छरदानी बांटी जा सके.” -डॉ. बीएल राज, सीएमएचओ, कवर्धा

स्वस्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि कुछ एरिया में मच्छरों की वजह से मलेरिया बढ़ रहा है. इस लिहाज से जिले में लगभग 96 हजार मच्छरदानी की आवश्यकता है. आंकड़ों पर गौर करें तो बीते साल चार सौ से अधिक मलेरिया के केस सामने आए थे, जबकि इस साल अब तक दो सौ से अधिक मलेरिया के मरीज मिल चुके हैं.

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