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नेशनल लोक अदालत का हुआ सफलतापूर्वक आयोजन, कई मामलों का हुआ निपटारा

कवर्धा। छत्तीसगढ़ राज्य में तालुका न्यायालय के स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में आज 12 नवम्बर को नेशनल लोक अदालत का आयोजित किया गया। इसी अनुक्रम में कबीरधाम जिला एवं पण्डरिया तहसील स्तर में नीता यादव, जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कबीरधाम के दिशा-निर्देश में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।

जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा उक्त लोक अदालत का शुभारंभ विद्या की देवी सरस्वती जी के फोटोचित्र पर पूजा/अर्चना करते हुए दीप प्रज्जवलित कर किया गया। तत्पश्चात् अन्य न्यायाधीशगण, उपस्थित पक्षकारगण एवं अधिवक्तागण तथा अन्य संस्थाओं के अधिकारियों द्वारा भी दीप प्रज्जवल किया गया। उक्त लोक अदालत में राजीनामा योग्य समस्त प्रकृति के प्रकरण रखे गए थे जिनमें से 700 से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया।

मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के प्रकरणों में माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदया द्वारा कुल 8 प्रकरण का निराकरण करते हुए 47,05,000/- की अवार्ड राशि पारित की गई। इसके अतिरिक्त कुटुम्ब न्यायालय द्वारा कुल 19 प्रकरणों का निराकरण किया गया। राजस्व न्यायालय में कुल 2962 प्रकरणों का निराकरण हुआ।

सचिव अमित प्रताप चन्द्रा, द्वारा उक्त जानकारी दी गई। लोक अदालत के दौरान वर्चुअल मोड अर्थात् विडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से भी प्रकरणों का निराकरण किया गया। किशोर न्याय बोर्ड में 11 प्रकरणों का निराकरण किया गया, जो कि कबीरधाम के संबंध में सर्वाधिक संख्या है। उक्त उपलब्धि इसलिए भी महत्वूर्ण है कि किशोर न्याय बोर्ड में मात्र 100 ही प्रकरण थे, जिसमें से 11 प्रकरणों का निराकरण एक ही दिन में किया गया है।

विद्युत विभाग के अधिवक्ता अतीत परिहार का कुछ दिनों पूर्व दुर्घटना हुआ था, जिसमें वे अत्यधिक घायल हुए है। उनके हाथ में फै्रक्चर तथा अन्य चोंटो के साथ साथ सिर में भी काफी चोटें आई हुई है, इसके बावजूद लोक अदालत के अवसर पर वे स्वयं न्यायालय में उपस्थित हुए तथा 60 से अधिक प्रकरणों का सफलतापूर्वक निराकरण करने में पूर्ण सहयोग प्रदान किए। अधिवक्ता इतना घायल होने पर भी लोक अदालत में इसलिए उपस्थित हुए ताकि कोई भी पक्षकार उनकी अनुपस्थिति के कारण लोक अदालत का लाभ प्राप्त करने से वंचित न रह जाए।

कुटुम्ब न्यायालय कबीरधाम के एक प्रकरण में पति और पत्नी के मध्य विवाद, परिवार में शौचालय एवं बाथरूम के इस्तेमाल और उनके न होने को लेकर, उत्पन्न हुआ था। पत्नी अपने पति से पृथक मायके में निवास कर रही थी। लोक अदालत के दौरान संबंधित पीठासीन अधिकारी आलोक कुमार द्वारा उभयपक्ष का बुलाकर बातचीत कर उन्हें स्वच्छता और पारिवारिक मर्यदा से अवगत कराते हुए यह समझाईश दी गई कि घर में शौचालय और बाथरूम होना अति आवश्यक है साथ ही घर की महिलाओं की मर्यादा को भी दृष्टिगत करते हुए उसका समुचित इस्तेमाल करना चाहिए। उभयपक्ष समझाईश पश्चात् आपस में समझौता करते हुए शौचालय एवं बाथरूम का उचित इस्तेमाल करने पर सहमत हुए तथा दोनों पति पत्नी के रूप में राजीखुशी समझौता कर साथ रहने के लिए अपने परिवार चले गए। इस प्रकार लोक अदालत में एक टूटे हुए परिवार को पुनः एक कर दिया।

नेशनल लोक अदालत में जिला न्यायालय में कुल 09 खण्डपीठ गठित की गई थी। उक्त नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन के अनुक्रम में समस्त न्यायालयीन कर्मचारीगण, पैरालिगल वालिन्टियर्स, जिला प्रशासन, जिला पंचायत, नगर पालिका, पुलिस विभाग सहित अन्य समस्त विभागों का भरपूर सहयोग रहा है।

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