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छत्तीसगढ़ में मतांतरण पर सदन से सड़क तक हंगामा, जानिए पूरा घटनाक्रम

रायपुर। विधानसभा में मंगलवार को मतांतरण के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों केबीच तीखी नोकझोेंक हुई। शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्षी विधायक नारायणपुर में आदिवासियों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प पर गृहमंत्री से जवाब के साथ-साथ मतांतरण के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे थे। इस दौरान नारेबाजी करते हुए गर्भगृह मेें पहुंचे 13 विधायकों को सभापति ने निलंबित कर दिया। उधर, नारायणपुर शहर में कर्फ्यू जैसे हालात रहे। पुलिस से मारपीट के मामले में भाजपा जिलाध्यक्ष व सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक रूपसाय सलाम समेत 11 आदिवासी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। बता दें आदिवासियों में पूरी कार्रवाई के बाद आक्रोश की स्थिति है तो ईसाई समुदाय के प्रतिनिधियों ने भी जगदलपुर में प्रेस कांफ्रेंस करके पिछले तीन महीने से क्षेत्र में तनाव और पुलिस द्वारा केस नहीं दर्ज किए जाने की बात उठाई है। भाजपा ने पूरे मामले की जांच के लिए सात सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है।

क्या है घटनाक्रम

नारायणपुर जिले की एड़का ग्राम पंचायत में रविवार को मतांतरण के विरोध में बैठक कर रहे आदिवासियों पर मिशनरियों के करीब 300 लोगों ने लाठी-डंडे से हमला कर दिया था। बचाव को पहुंची पुलिस पर भी हमला हुआ था। इसके विरोध में सोमवार को 20 से अधिक गांवों के हजारों आदिवासी जिला मुख्यालय में विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे तो पुलिस ने नियंत्रित करने के लिए लाठियां भांजी। आक्रोशित आदिवासियों के जवाबी हमले में एसपी सदानंद कुमार समेत कई पुलिस वाले घायल हो गए जबकि 50 से अधिक आदिवासियों को भी चोटें आईं। इस दौरान भीड़ ने पास स्थित चर्च में तोड़फोड़ भी की थी। पिछले तीन महीने से क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति है।

आदिवासियों की तरफ से 50 से अधिक शिकायतें दिए जाने के बाद भी पुलिस ने कोई केस नहीं दर्ज किया है। मंगलवार को स्थिति पर नियंत्रण के लिए आइजी पी सुंदरराज खुद नारायणपुर में मौजूद रहे। तनावपूर्ण स्थिति के कारण अभिभावकों ने छात्र को स्कूल नहीं भेजा। दुकानें भी बंद रहीं। नारायणपुर के निकट बेरुन में भाजपा सांसद और बस्तर प्रभारी संतोष पांडेय के साथ केदार कश्यप, मोहन मंडावी और महेश गागड़ा सहित अन्य नेताओं को रोक लिया गया। पांडेय ने कहा कि ईसाई लोग पैसा देकर मतांतरण करा रहे हैं। बस्तर का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है।

विधानसभा में हंगामा

सदन में भाजपा और जनता कांग्रेस छत्त्तीसगढ़ (जकांछ) केविधायकों ने मतांतरण का मुद्दा उठाते हुए स्थगन प्रस्ताव के जरिए चर्चा की मांग की। दोनों तरफ से हंगामे के कारण विस अध्यक्ष डा. चरण दास महंत को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष ने आदिवासियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प के लिए सीधे तौर पर सरकार को दोषी ठहराते हुए आरोप लगाया है कि मिशनरियों के दाबाव में प्रशासन को काम नहीं करने दिया जा रहा है। पिछले कई महीने से क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है परंतु राजनीतिक लाभ लेने के लिए कांग्रेस ही मतांतरण को बढ़ावा दे रही है। इधर राज्य सरकार के प्रवक्ता, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने दावा किया कि सदन में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू नारायणपुर की स्थिति बताना चाह रहे थे परंतु विपक्ष के हंगामे के कारण संभव नहीं हो सका। चौबे ने बस्तर मेें सरकार प्रायोजित मतांतरण के भाजपा के आरोपों को खारिज कर दिया। दूसरी तरफ स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने दावा किया कि भाजपा और आरएसएस के नेता वोट बैंक के लिए विवाद करा रहे हैं।

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने दावा किया कि बस्तर में सरकार प्रायोजित मतांतरण हो रहा है। विदेशी लोगों की घुसपैठ हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कहा कि अगर पुलिस और प्रशासन ने स्थानीय आदिवासी लोगों पर ईसाई मिशनरियों द्वारा अत्याचार की शिकायतों पर कार्रवाई की होती तो इस घटना को टाला जा सकता था। सोमवार की प्रतिक्रिया राज्य के बाहर से पहुंचे मिशनरी गुंडों द्वारा स्थानीय आदिवासियों पर किए गए हमलों के जवाब में थी। पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि कांग्रेस सरकार के संरक्षण मेें चल रहे मतांतरण से हिंदू और आदिवासी समाज असुरक्षित है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण बस्तर जल रहा है। नारायणपुर और कांकेर जिले के 50 गांव के लोग सड़कों पर हैैं।

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