अतरंगी पड़ताल

कृषि विभाग में 80 लाख का घोटाला उजागर, जल्द हो सकती है बड़ी कार्यवाही

कवर्धा। कृषि विभाग में 79.44 लाख रुपए घोटाला किए जाने की खबर आ रही है। शिकायतकर्ता के शिकायत पर छत्तीसगढ़ राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था रायपुर, संचालनालय कृषि छत्तीसगढ़ ने संज्ञान लेते हुए प्रभारी उपसंचालक राकेश शर्मा को पत्र जारी कर शिकायत की जांच के लिए 12 बिंदु में जानकारी उपलब्ध कराने का लेख किया है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार कृषि विभाग को पत्र प्राप्ति के बाद विभाग में खलबली मच गई है। ये पत्र विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। कई और भी घोटाले का पोल खुलने और विभाग के कई अन्य अधिकारी कर्मचारी पर कार्यवाही होने की बात कही जा रही है।

शिकायतकर्ता ने प्रमाणित दस्तावेज के साथ लगाया था आरोप

कबीरधाम के प्रभारी उपसंचालक कृषि राकेश शर्मा पर 80 लाख रुपए फर्जी भुगतान कर राशि गबन करने का आरोप लगा है। शिकायतकर्ता ने प्रमाणित दस्तावेज के साथ अपने शिकायत में आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा मिशन योजना में नींदानाशक दवाई वितरण की आड़ में एक निजी दुकान फर्म “सृष्टि ऑर्गेनिक” के साथ सांठ गांठ कर फर्जी बिल लगाकर 79.44 लाख का भुगतान कर रकम की बंदरबाट किया गया।

शिकायतकर्ता ने प्रभारी उपसंचालक राकेश शर्मा पर भ्रष्टाचार का आक्षेप लगाते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त एवं सचिव, छत्तीसगढ़ शासन कृषि विभाग को शिकायत प्रस्तुत किया है। उन्होंने आक्षेप लगाया कि राष्ट्रीय खाद्यान सुरक्षा मिशन योजना के तहत निंदानाशक दवाई वितरण के लिए 50% का कृषक अंश बीज निगम में जमा कराकर दवा का वितरण बीज निगम से भी कराया जा सकता था। बीज निगम में दवा उपलब्ध होने के बावजूद निगम को बगैर अनुमति निजी फर्म से क्रय कर भुगतान करना संदेह पैदा करता है।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि अधिकारी के द्वारा 200% का अनुदान भुगतान किया गया है जबकि योजना के तहत शासन और कृषक का 50%-50% का अंश सम्मिलित रहता है। योजना के तहत कृषकों से 39.72 लाख रुपए कृषक अंश के रूप में जमा कराकर शासन को कुल 79.44 लाख रुपए की दवा क्रय का भुगतान बीज निगम माध्यम से किया जाना था।

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रभारी कृषि अधिकारी ने निजी फर्म से दवा क्रय करने के लिए बीज निगम से एनओसी नही ली गई। निम्न गुणवत्ता का दवा क्रय तो किया गया पर किसी किसान को वितरण नहीं किया गया। अधिकारी द्वारा दवा क्रय करने के लिए कोई भी टेंडर जारी नही किया गया है।

शिकायतकर्ता ने बताया कि कृषि विभाग से सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी में अधिकारी ने उक्त योजना के तहत 39.72 का बिल का दवा क्रय करने का दस्तावेज उपलब्ध कराया गया है जबकि अधिकारी ने क्रय से अधिक यानि डबल 79.44 लाख रुपए का अवैध भुगतान किया गया है।

प्राप्त बिल में दवा क्रेता कृषक को बताया गया है और दवाई की डिलीवरी SADO स.लोहारा को किया जाना बताया गया है। योजना के तहत कृषक द्वारा दवा क्रय कर बिल स्वयं विभाग को प्रस्तुत कर भुगतान संबंधित फर्म को किए जाने के लिए विभाग को निवेदन करने या नगद क्रय कर अनुदान की राशि का भुगतान कृषक के खाते में करने का प्रावधान है। उक्त प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया सीधे अधिकारी द्वारा फर्म से बिल लेकर भुगतान कर दिया गया।

उन्होंने आरोप लगाते हुए बताया कि इस योजना के तहत पूरे कबीरधाम जिले के कृषकों को योजना का लाभ दिया जाना था किंतु अधिकारी द्वारा मनमानी करते हुए केवल स.लोहारा विकासखंड के कृषकों को लाभ दिया गया जो संदेहास्पद है। प्राप्त बिल में दवा क्रय की तिथि 01 जून 2023 बताया गया है जबकि सभी भुगतान 15 जून 2023 को ही कर दिया गया है। योजनांतर्गत दवा वितरण के 25-30 दिन बाद कृषकों से दवा के संबंध में फीडबैक लेने का प्रावधान है कि दवा की गुणवत्ता कैसी है उसके बाद भुगतान करने का प्रावधान है। किंतु अधिकारी द्वारा कृषकों से बिना फीडबैक लिए ही भुगतान किया जाना संदेह की श्रेणी में आता है।

अधिकारी शासकीय वाहन उपयोग मामले में रहे सुर्खियों में

उपसंचालक कृषि राकेश शर्मा कुछ समय पूर्व शासकीय वाहन का दुरुपयोग मामले में सुर्खियों में थे। मीडिया में शासकीय वाहन का निजी उपयोग करने का मामला उजागर हुआ था। शासकीय वाहन का चाय की टपरी में खड़ा होना और अवकाश के दिन में वाहन का प्रयोग कर चाय की टपरी में चाय और सिगरेट का चस्का लेना विवादों में था।

भ्रष्टाचार पर हो सकता है बड़ी कार्यवाही

सरकार परिवर्तन के बाद और कवर्धा के फायर ब्रांड नेता विजय शर्मा के जीत के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि जिले समेत प्रदेश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही होगी। कहीं न कहीं इस जांच को भी लोगों द्वारा इसी का हिस्सा माना जा रहा है। विजय शर्मा ने चुनाव जीतने के बाद तीखे तेवर में भ्रष्ट अधिकारियों को सचेत किया था और प्रदेश में सुशासन की सरकार आने की बात कही थी। विजय शर्मा के नाम उपमुख्यमंत्री घोषणा होने के तुरंत बाद ही जिले के लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार का भेंट चढ़े सड़क निर्माण को सोशल मीडिया में चल रहे पोस्ट पर संज्ञान लेते हुए कार्यवाही के निर्देश दिए थे। उनके इस कार्यवाही ने संकेत दे दिया था कि अब प्रदेश में भ्रष्ट अफसरों को नहीं बख्शा जाएगा।

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