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गंडई खुर्द में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म और वामन अवतार की कथा सुनाई,भक्ति रस से सराबोर हुए श्रद्धालु

आशु चंद्रवंशी/बड़ेगौटिया,कवर्धा। कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गंडई खुर्द में श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। 22 अगस्त से लेकर 30 अगस्त तक चलने वाले संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के मुख्य आयोजक झम्मन चंद्रवंशी है।श्री चंद्रवंशी के पुत्र स्व. चुड़ामढ़ी चंद्रवंशी के वार्षिक श्राद्ध में यह आयोजन रखा गया है।कथा व्यास के रूप में पंडित श्री श्रीधर शर्मा है। प्रतिदिन दोपहर एक बजे से हरीइच्छा तक संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा सुना रहे हैं। कथा सुनने के लिए आसपास के दर्जनों गांव से सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं।

वामन अवतार प्रसंग सुनकर तालियों से गूंजा पांडाल

श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में पांचवे दिन भगवान के वामन अवतार और कृष्ण जन्म प्रसंग पर प्रवचन दिया गया। कथा व्यास पंडित श्रीधर शर्मा जी महाराज ने कहा कि किस प्रकार राजा बलि ने अपना सर्वस्व ईश्वर को दान कर दिया। गुरु ने ईश्वर से साक्षात्कार करवाया और राजा बलि ने भगवान वामन देव ने जब दो पग में ही तीन लोक माप लिया तब तीसरे पग को उनके मस्तक पर धारण कर लिया। उन्होंने बताया कि, वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ तथा अंहकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता और यह धनसंपदा क्षणभंगुर होती है। इसलिए इस जीवन में परोपकार करों। उन्होंने कहा कि अहंकार, गर्व, घृणा और ईषर्या से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।वहीं गज और ग्राह के प्रसंग को बताया तो श्रोता भाव विभोर हो गए। गज ने ईश्वर को पुकारा तब ईश्वर ने ग्राह से रक्षा की।

श्रीमद्भागवत कथा में धूमधाम से मनाया गया कृष्ण जन्मोत्सव

कृष्ण जन्म के दौरान जीवंत झांकियों के साथ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। पूरा पंडाल नंद के घर आनंद भयो व जय कन्हैया लाल की.. के उद्घोष से गूंज उठा। भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय सभी श्रोता झूमने और नाचने लगे। सुमधुर भजनों के साथ कथा श्रवण करने भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। पण्डित जी ने भगवान कृष्ण जन्म लीला के बारे में विस्तार पूर्वक श्रद्धालुओं को बताया कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पाप बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है।

मथुरा में राजा कंस के अत्याचार से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रूप ने में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। उन्होंने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह अवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा, जब उसके बताए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करेंगे।

उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल में आनंद भयो जय कन्हैयालाल की हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैयालाल की सहित अनेक भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को आनंदित कर दिया। कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान भगवान कृष्ण व वासुदेव जी की झांकी से श्रोताओं का मनमोह लिया। श्रोताओं ने भगवान का पूजन कर ने माखन मिश्री का भोग लगा कर आशीर्वाद लिया।

संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के मुख्य आयोजक होली राम-केजीन बाई, झमन-बेदीन चंद्रवंशी, पवन- गायत्री चंद्रवंशी, सिलोचनी चंद्रवंशी, हीरामणि- प्रतिमा चंद्रवंशी, बहुरा-भानु,विद्या-बेदराम,तिजिया-गोवर्धन, सुकृति-सुंदर, सिलोचनी-तोरण, गंगा-रामधार, गोदावरी-नरेश, रानी(बहन)है।दर्शनाभिलाषी – खेदुराम, पंचराम, रतन तिलक, अयोध्या, लालजी प्रहलाद, संतोष, दऊवा, विजय लक्ष्मण, ब्रदी, अजय, विशाल, कैलाश, फेकु, गोपाल, सुरेश विवेकानंद, मोहन, गितेश्वर, अनिकेत, नागेश्वर, आदित्य, प्रिंस, अयांश, नित्या, हिमांशी।

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