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गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ सरकार की अब तक सफल योजना में सुमार : गोबर बेचकर गौ-पालकों और कंपोस्ट खाद बनाने वाले समूह ने कमाए करोड़ों रुपए

कवर्धा। एक दौर था जब किसान और वनो में रहने वाले लोग सिर्फ धान और वनोपज संग्रह कर उसे बाजार में बेंचकर पैसे कमाते थे। डेयरी की बिजनेस करने वाले लोग भी सिर्फ दूध, दही, मक्खन और घी बेच कर ही पैसे कमाते थे। गौधन न्याय योजना आने के बाद छत्तीसगढ़ में अब यह दौर बदल गया है। आम के आम और गुठलियों के भी दाम के तर्ज पर गौपालक किसान अब गोबर बेचकर भी पैसे कमाने शुरू कर दिए है।

कबीरधाम जिले में गोधन न्याय योजना ने गांव विकास की राह खोल दी है। गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ सरकार फ्लैगशिप योजनाओं में अब तक की सफल योजना में सुमार हो गया है। इस योजना की लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। एक दौर था जब किसान और वनो में रहने वाले लोग सिर्फ धान और वनोपज संग्रह कर उनके बाजार में बेंचकर पैसे कमाते थे। डेयरी की बिजनेस करने वाले लोग सिर्फ दूध, दही, मक्खन और घी बेच कर ही पैसे कमाते थे। छत्तीसगढ़ में अब यह दौर बदल गया है।

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जब से गोधन न्याय योजना की शुरूआत की है तब से किसानों के साथ-साथ गो पालकों की स्थिति भी सुधरने लगी है। गोधन योजना से गोबर की सरकारी तौर पर खरीदी होने से गो पालक से लेकर डेयरी की बिजनेस करने वालों का आत्मविश्वास बढ़ने लगा है। शहर से लेकर गांव और जंगलों के बीच बसे गांवों में भी गोबर की खरीदी हो रही है। गांव से लेकर वनांचल के लोग धान और वनोपज के अलावा गोबर बेचकर खुब पैसे कमा रहे है। छत्तीसगढ़ की कबीरधाम जिले में कलेक्टर जनमेजय महोबे के निर्देश पर गोधन न्याय योजना का सफल क्रियान्वयन भी हो रहा है। इस जिले में गोधन न्याय योजना प्रांरभ होने से अब तक 6821 गोबर विक्रेताओं ने गोबर बेचकर 6 करोड़ 15 लाख 19 हजार रूपए कमा लिए है।

कबीरधाम जिले में सचमूच गो पालक किसानों से लेकर जिनके पास एक एकड़ जमीन भी नहीं है, ऐसे लोगों की आय दोगुना करने में गोधन न्याय योजना सफल साबित हो रही है। इस जिले के लोगो ने अब तक गोबर बेचकर कोई अपने बच्चों को उच्च शिक्षा अध्ययन करा रहे तो कोई अपने बच्चों और परिवार के लिए सोने-चांदी भी खरीद रहे है। वहीं कई ऐसे लोग है जो गोबर बेचकर अपने सपने पूरे कर है और मोटर साईकिल से लेकर घर बनाने की सपने को बून रहे है।

कबीरधाम जिले के 299 गौठानों हो रही गोबर की खरीदी

गोधन न्याय योजना के तहत अब तक कबीरधाम जिले में 309 गौठान पूर्ण रूप ले लिया है। इन गौठानों में गौठान विकास समिति से लेकर सभी अधोसंरचना के निर्माण हो चुके है। जिले के छः नगरीय निकायों में भी गौठान का निर्माण हो चुका है। शहर से लेकर गांव-गांव से संचालित 299 गोठानों सरकारी तौर पर गोबर की खरीदी हो रही है। 299 गौठानों में गोबर विक्रेता के रूप में 6 हजार 821 गोबर विक्रेताओं को पंजीयन हो चुका है। यह संख्या लगातार बढती जा रही है। इन गोबर विक्रेताओं में जिले के 5 हजार 824 किसान भी शामिल है। अब तक इस जिले में 307599.85 क्विंटल गोबर की खरीदी हो चुकी है। जिले के 6 हजार 821 गोबर विक्रेताओं ने अब तक गोबर बेचकर 6 करोड़ 15 लाख 19 हजार रूपए कमा लिए है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा प्रत्येक माह में 15-15 दिनों में गोबर विक्रेताओं को उनकी राशी के खातों में सीधे तौर पर डाली जा रही है।

गोबर विक्रेताओं के साथ-साथ समूहो को 2 करोड़ 9 लाख 22 हजार रूपए का भुगतान

कबीरधाम जिले में 299 सक्रिय गौठानों में 344 समूह सक्रिय रूप से काम कर रहे है। इन समूहों में 3026 सदस्य है। मल्टीएक्टीविटी वाले गौठानों की संख्या 156 है, जिसमें अजीविका के अलग-अलग ग्रामीण उद्योग संचालित होने जा रहे है। इसमें 251 समूह कार्य कर रही है जिसकी सदस्यों की संख्या 1236 है। जिले में अब तक 82941 कम्पोस्ट का उत्पादन हो चुका है। जिसमें वर्मी कंम्पोस्ट 67575 कि्ंवटल और सुपर कंपोस्ट 15366 क्विंटल का उत्पादन शामिल है। कंपोस्ट विक्रय के विरूद्ध समूह को अब तक लाभांश राशि 2 करोड़ 9 लाख रूपए का भुगतान कर दिया गया है।

जिले में अब तक 62 हजार 917 कंपोस्ट का विक्रय

कबीरधाम जिले के किसानो ने जैविक खेती की ओर अपना कदम बढ़ा दिया है। जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए 62 हजार 917 क्विंटल जैविक खाद खरीदी की गई है। जिसमें 50532 वर्मी कंपोस्ट और 12385 सुपर कंपोस्ट जैविक खाद शामिल है। कम्पोस्ट विक्रय के विरूद्ध प्रबंधन समिति को लाभांश राशि के रूप में 29 लाख 30 हजार रूपए प्राप्त कर लिया है।

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