बड़े गौटिया की बात

सड़क में गड्ढे, गड्ढों में पानी, राह चलने में परेशानी :आखिर कब जागेंगे जिम्मेदार,खस्ताहाल सड़कें कर रही बेहाल

आशु चंद्रवंशी,बड़ेगौटिया/कवर्धा। कबीरधाम जिले के सड़कों का हाल बेहाल है, ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक सिर्फ भ्रष्टाचार से बने गढ्ढों वाली सड़के दिखेगी।प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना या मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना या फिर लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गई सड़के हो, सभी सड़कों में मानो स्वागत के लिए गुलाब के फूल बिछे हुए है। कहने का तात्पर्य तो आप समझ चुके होंगे। जिले के सड़कों का हाल जानिए बड़ेगौटिया के साथ……

मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना का बुरा हाल

मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से जिले में बने दर्जनों से भी ज्यादा सड़कें आज प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। सड़कें खराब हो चुकी है। सड़कों पर जगह -जगह गड्ढे हो गए है और डामर उखड़ गया है।खराब सड़कों की वजह से ग्रामीण और स्कूली बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

शहर हो या गांव यहां कोई भी सड़क ऐसी नहीं है जो टूटी न हो। इनकी हालत देखकर राहगीरों को यह समझ नहीं आ रहा है कि सड़कों पर गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क। वहीं इन सड़कों की तरफ से जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।

गड्ढों में तब्दील हुईं सड़कें, लोक निर्माण विभाग की उदासीनता

लोक निर्माण विभाग की बात तो अलग ही है, कारनामे देखने हैं तो कवर्धा से बाहर जाने की जरूरत नहीं है।आपको कवर्धा के मिनिमता चौक रायपुर रोड में ही बड़े बड़े गढ्ढों के दर्शन हो ही जाएंगे।

इसी रोड से मंत्री, सांसद और विधायकों का आना जाना लगातार होता है। लेकिन उनको जनता से क्या ? वहा हर रोज कोई न कोई दुर्घटना का शिकार हो रहा है।लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है। जिले में हर तरफ सड़कों में गड्ढे ही गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। सड़कों में बने गड्ढों को ठीक करने के लिए अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। लोगों की परेशानी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। चाहे वह वाहन चालक हो या आम नागरिक। विभाग के अधिकारी सड़कों की हालत को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। सड़कों में बने गड्ढों से यहां से गुजरने वाले वाहनों की गति पर भी ब्रेक लग गया है। टूटी सड़कें वाहन चालकों के लिए अभिशाप साबित हो रही है। सड़कों को पार करते समय वाहनों का कुछ न कुछ सामान टूटना चालकों के लिए आम बात बन गई है। वाहन चालकों को समय के साथ आर्थिक हानि का भी सामना करना पड़ रहा है।वहीं सड़कों की मरम्मत अगर कही होती भी है तो मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है।

प्रधानमंत्री सड़क का हाल भी जानलो

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना लोगों की बुनियादी सुविधा से ज्यादा अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए कमाई का जरिया बन गई है। घटिया और दोयम दर्ज के निर्माण कर अधिकारी-ठेकेदार मलाई खा रहे हैं। सरकार और संबंधित विभाग अपने ही अधिकारियों से निर्माण की गुणवत्ता जांच करवा कर निर्माण की गड़बड़ी को ढांककर शिकायतों पर परदा डाल रहे हैं और भ्रष्टाचार की खुली छुट दे रहे हैं। परिणाम स्वरूप निर्माण लागत की आधी रकम अधिकारियों और ठेकेदारों की जेब में पहुंच रही है। ठेकेदार और विभागिय अधिकारी के साथ मिलकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क का रुपया गटक लिया जा रहा है। कहीं भी गुणवत्ता युक्त सड़क नहीं बनाया गया है, और उन रुपयों को ठेकेदार, नेता और अधिकारी मिलकर चट कर रहे हैं।

मुख्यालयों में सालों से जमे अधिकारी अपने चहेते ठेकेदारों के माध्यम से योजना को संपत्ति बनाने का माध्यम बना रखे हैं। मंत्री से लेकर उच्चाधिकारी तक योजना में मैदानी अधिकारियों और ठेकेदारों के कारनामों से वाकिफ हैं लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं पा रहा है।

विभागीय अधिकारियों को शिकायत करते-करते थक जाते है लोग

जिले भर में सड़कों की जर्जर हालत हादसों की वजह बन रही है। पिछले कई साल से सड़कों के रखरखाव और मरम्मतीकरण का सभी ढंग से काम नहीं हुआ है। जगह-जगह गड्ढों से आए दिन हादसे हो रहे हैं। जहां ग्रामीण सड़कों की खस्ता हालत की शिकायत उच्च अधिकारियों को कर के थक चुके है, वहीं आला अधिकारी शासन स्तर का मामला बताते हुए अपने जिम्मेदारियों से पलड़ा झाड़ते दिख रहे है। गौरतलब है कि विभिन्न विभागों द्वारा बनाई गई सड़कों की लाइफ तीन या पांच साल तक की होती है. उसके बाद विभाग को प्रकरण तैयार कर शासन को भेजना होता है, ताकि शासन से स्वीकृति मिलने के बाद उस रोड पर दोबारा काम हो सके। पर साल पूरा होने के बाद भी शासन के संज्ञान में नहीं लाया जाना कई सवालों को जन्म देता है।

अंत में बड़ेगौटिया के कुछ सवाल


क्या अफसर-ठेकेदार चांदी काट रहे हैं ?

क्या सड़क मरम्मतीकरण के नाम पर लीपापोती हो रही है ?

क्या आपके तरफ की सड़कों में गड्ढे ही गड्ढे दिखाई दे रहे हैं ?

क्या खराब सड़कों की वजह से ग्रामीण और स्कूली बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ?

क्या जनता को सुविधा के नाम पर परोस रहे घटिया सड़कें ?

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