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नेऊरगांव खुर्द में धनतेरस पर आदिवासी समाज ने गौरी-गौरा पर्व की भव्य और पारंपरिक शुभ शुरुआत किया

आशु चंद्रवंशी,कवर्धा।  धनतेरस के पावन अवसर पर नेऊरगांव खुर्द में आदिवासी समाज द्वारा वर्षों से चली आ रही गौरी-गौरा पर्व की भव्य और पारंपरिक शुरुआत की गई। यह आयोजन गांव की लोकसंस्कृति, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। गांव के वरिष्ठजन, महिला शक्ति और युवा साथीगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इस अवसर पर सरपंच नेमसिंह धुर्वे, उपसरपंच कुलदीप चंद्रवंशी और गांव के सभी ऊर्जावान युवा उपस्थित रहे।आज के दिन फूल कुचरने की परंपरा का आयोजन किया गया, जो गौरी-गौरा पर्व के प्रारंभिक चरण का प्रतीक है। आने वाले दिनों में गौरी-गौरा की स्थापना और भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम धूमधाम से आयोजित किए जाएंगे। इस शुभ अवसर पर सरपंच नेमसिंह धुर्वे ने आदिवासी समाज को एक श्रीफल और ₹5000 भेंट किया। साथ ही, गांव के सभी युवा साथियों ने मिलकर ₹5000 की अतिरिक्त राशि समाज को प्रदान की, जिससे सामाजिक सौहार्द और सहयोग की भावना को बल मिला।अशोक गुरुजी ने कहा, “गौरी-गौरा पर्व केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारे आदिवासी समाज की आत्मा है। यह पर्व हमें मातृशक्ति, धरती माता और लोकसंस्कृति से जोड़ता है। इस परंपरा को जीवित रखना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना हमारा दायित्व है।”
विनोद चंद्रवंशी  ने कहा, “हमारे गांव में इस बार भी गौरी-गौरा पर्व की शुरुआत उत्साह और सामाजिक एकता के साथ हुई है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि एकता में ही हमारी वास्तविक शक्ति निहित है।”
आज से दीपोत्सव की इस पारंपरिक पर्व की शुरुआत में भक्ति, उल्लास और लोकसंस्कृति की सुगंध फैल गई।
आगामी दिनों में गौरी-गौरा की स्थापना, पारंपरिक नृत्य-गीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ इसे भव्य रूप से मनाया जाएगा। यह पर्व सांस्कृतिक विरासत और सामुदायिक सौहार्द का संदेश भी देता है।

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