भारत को 2030 तक बाल विवाह मुक्त करने का लक्ष्य,कबीरधाम जिले के धर्मगुरुओं ने उठाई आवाज : कृषक सहयोग संस्थान ने अलग अलग धर्मों के धर्मगुरुओं से बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने का किया आह्वान,धर्मगुरुओं से मिला सहयोग व आपार समर्थन

कवर्धा। बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश में नागरिक समाज संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के कबीरधाम में सहयोगी संगठन कृषक सहयोग संस्थान ने बाल विवाहों की रोकथाम के लिए विश्व अंतरधार्मिक सप्ताहांत के अवसर पर 12 से 14 सितंबर तक ज़िले में विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं के बीच जाकर बाल विवाह के खिलाफ़ अभियान चलाया। यह अभियान मुख्य रूप से संस्था के निदेशक डॉ एच बी सेन के निर्देशन में और जिला समन्वयक ललित सिन्हा के मार्गदर्शन में चलाया गया। कबीरधाम जिले के मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा एवं चर्च के धर्मगुरुओं से मिलकर जिला के किसी भी धर्म स्थलो पर बाल विवाह न करने की अपील की गई। बाल विवाह के खिलाफ अलग अलग धर्मों के सभी धर्म गुरुओं ने वीडियो के माध्यम से अपने अनुयायियों को को संदेश दिया कि बाल विवाह कानूनन अपराध है। इस जागरूकता अभियान को व्यापक सफलता मिली है और सभी धर्मगुरुओं ने इसकी सराहना करते हुए समर्थन का हाथ बढ़ाया है। गौरतलब है कि जेआरसी 2030 तक देश से बाल विवाह खत्म करने के मकसद से विभिन्न कैम्पेन चला रहा है।कृषक सहयोग संस्थान के निदेशक डॉ एच बी सेन ने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जरूरी जागरूकता की कमी है। ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत दंडनीय अपराध है। इसमें किसी भी रूप में शामिल होने या सेवाएं देने पर दो साल की सजा व जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसमें बाराती और लड़की के पक्ष के लोगों के अलावा कैटरर, साज-सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरेज हाल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जाएगा और उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है। अठारह वर्ष से कम उम्र की किसी बच्ची से वैवाहिक संबंधों में भी यौन संबंध बनाना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत बलात्कार है। बेहद खुशी का विषय है कि आज सभी धर्मों के धर्म गुरुओं ने इस बात को समझते हुए न सिर्फ इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं, बल्कि खुद आगे बढ़कर बाल विवाह नहीं होने देने की शपथ लेते हुए अपने अपने धर्म के लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। इस अभियान में उनके आशातीत सहयोग व समर्थन से हम अभिभूत हैं। इसको देखते हुए हमारा मानना है कि जल्द ही हम बाल विवाह मुक्त कबीरधाम के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।



