पी आर पी के कार्य शैली से समूह की दीदियां परेशान,अधिकारी मौन : शोषण के खिलाफ़ जांच कर उचित कार्यवाही की आवश्यकता
आशु चंद्रवंशी,कवर्धा। कबीरधाम जिला के सहसपुर लोहारा विकासखंड में शासन के मंशा पर पानी फिरते दिखाई दे रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) योजना में गरीब परिवार के महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रावधान है लेकिन कलस्टर स्तर पर मौजूद अधिकारी के द्वारा उन्हें परेशान करते हुए उनसे जुर्माना वसूली करते हुए मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है जिस पर सक्षम अधिकारी संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही करने के बजाए संरक्षण देते है। जो समझ से परे हैं ।
जिले में लगभग नौ हजार महिला समूह
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) योजना अन्तर्गत जिले में लगभग नौ हजार महिला स्वा सहायता का गठन किया गया है जिसमें से नब्बे फीसदी समूह की महिलाओं का आर्थिक स्थिति में सुधार के बजाए उन्हें कर्ज में डूबा दिया गया है। समूह की दीदीयो को बड़ी बड़ी सपने दिखाकर उन्हें समूह में जोड़ने का कार्य करने वाले जिम्मेदार आज उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रशिक्षण देने के बजाए कर्ज में डूबा दिया है।
100 रुपए का जुर्माना
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम ) योजना का कामकाज का समीक्षा करने के लिए मासिक बैठक का आयोजन किया जाता हैं। जिसमें बैठक का समय निर्धारित रहता हैं। बैठक में शामिल होने के लिए अधीनस्थ कर्मचारी और पदाधिकारी समय पर पहुंचने की कोशिश करते है लेकिन कामकाजी महिला और बच्चों की जिम्मेदारी होने के कारण उपस्थित होने में कही थोड़ा भी देरी हो जाता हैं तो उनसे सौ रुपए की अर्थ दंड लिया जाता है किंतु उच्चाधिकारी या बैठक लेने वाले के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है। मिली जानकारी अनुसार उक्त अर्थ दंड की राशि का कोई हिसाब किताब नहीं होता । जिसका सीधा मतलब है कि पी आर पी के द्वारा गटक लिया जाता है।
ऋण के लिए बार बार काटना पड़ता हैं चक्कर
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजन में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को समूह बनाकर लोन देकर और उनसे बचत कराकर आत्मनिर्भर बनाने की योजना है । समूह के काम काज और लेन देन के आधार पर ऋण दिया है । मिली जानकारी अनुसार कलस्टर के द्वारा प्रत्येक समूह को ऋण देने के लिए साठ हजार राशि शासन से आता है जिसे एक प्रतिशत ब्याज की दर से देने का प्रावधान है और समूह की महिलाएं उसी राशि को दो या तीन प्रतिशत की दर से जरूरत मंद को देते है । समूह के द्वारा ब्याज की राशि को प्रतिमाह कलस्टर में जमा कर देते है । जिससे किसी अन्य जरूरत मंद समूह को और ऋण दिया जा सके । समूह की महिलाओं को ऋण लेने के लिए कलस्टर प्रभारी और पी आर पी के द्वारा ऋण देने के लिए बार बार घुमाया जाता हैं। जिससे स्व सहायता समूह की महिलाओं का मनोबल कमजोर होता हैं।
मनचाहे लोगों को बनाते है पदाधिकारी
समूह गठन के समय पदाधिकारियों का चयन किया जाता हैं। जिसका अलग अलग स्तर होता है । ग्राम समूह , ग्राम संगठन समूह , कलस्टर स्तर पर भी समूह का गठन होता हैं। मिली जानकारी अनुसार उक्त समूहों की अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष की तीन वर्षों में बदलने का प्रावधान रहता हैं लेकिन पी आर पी के द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है। जिसका मुख्य वजह है कि सभी जगहों पर अपने मनचाहे महिलाओं को पद्धाधिकरी बनाकर रखे है ।
सबसे ज्यादा गड़बड़ी बाजार चारभाटा और बीडोरा में
ब्याज की राशि और ऋण देने में आनाकानी ,फर्जी दस्तावेज तैयार कर राशि आहरण करने की गड़बड़ी पूरे जिले में है । जो जांच करने में उजागर होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन सबसे ज्यादा गड़बड़ी बाजार चारभाटा और बीडोरा कलस्टर में मिलने की संभावना जताई जा रही है। आजीविका मिशन योजन से जुड़ी दीदियां इनके कार्यशैली से काफी आहत और दुखी है ।