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कवर्धा जिले के स्वास्थ्य विभाग में चल रहा संलग्निकरण का खेल,ग्रामीण व वनाँचल स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गयी,डॉक्टर नहीं देते सेवा,हो रही मौतो का जिम्मेदार कौन

आशु चंद्रवंशी,कवर्धा। जिले में स्वास्थ्य विभाग अब भगवान और सीएमएचओ के भरोसे हो गया है जहां कुछ माह पूर्व झलमला में पदस्थ चिकित्सा अधिकारी की शिकायत के बाद उनका स्थानांतरण दामापुर किया गया था वे दामापुर जाना नहीं चाहते थे और अपना ट्रांसफर रूकवाने के लिए काफी जोर आजमाईश के बाद बार बार अखबार में खबर छापने के बाद आखिर उन्होंने स्थानांतरित जगह दामापुर का प्रभार लिया वैसे ही पोड़ी में पदस्थ संविदा चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रखर गुप्ता अपने पिता के कर्मचारी नेता होने का फायदा उठा कर फरवरी से जिला चिकित्सालय में संलग्न थे पोड़ी ग्रामवासियों के शिकायत के बाद उन्हें पोड़ी भेजा गया
वैसा ही एक मामला आया है कि तरेगांव में सर्पदंश से एक बालक की मौत सही समय पर इलाज एवं एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण मौत हो गई
ज्ञात हो कि तरेगांव जिले का सुदूर वनांचल क्षेत्र है जहां स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए जनवरी में शासन के द्वारा संविदा चिकित्सा अधिकारी बॉन्ड के पद पर डॉ मुकुल राजपूत की नियुक्ति संचालक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा किया गया था परंतु डॉ मुकुल राजपूत जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिले के सिविल सर्जन से सेटिंग कर तरेगांव कार्य नहीं करते हुए लंबे समय से जिला चिकित्सालय कबीरधाम में संलग्न रह कर कार्य कर रहे हैं, इनकी भी शिकायत एक माह पूर्व कलेक्टर से की गयी थी, लेकिन प्रशाशन ने ध्यान नहीं दिया, डॉक्टर ग्रामीण व सुदूर जंगल इलाकों में सेवा से कतरा रहे, वो कभी कभार ही जाते हैं, मुख्यालय में भी नहीं रहते, ज्यादातर शहरों में बेवजह सलग्न हैं जिसके कारण, ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा चरमरा सी गयी हैं, कही न कही मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्वास्थ्य सेवा संभाल पाने में नाकाम हो रहे हैं,बच्चे के सर्पदंस से हुई मौत एम्बुलेंस के समय पर नहीं पहुँचने से नहीं, बल्कि डॉक्टर जो नियुक्त हैं उनके न रहने से हुई, आखिर क्या उस डॉक्टर पर कार्यवाही होंगी बड़ा सवाल हैं, क्यूं स्वास्थ्य अधिकारी गंभीर नहीं हैं, क्यूं वो अधिकांश को सलग्न करके रखे हैं, जिसकी नियुक्ति हैं वो डॉक्टर मुख्यालय में क्यूं नहीं रहते, आपको बता दे कई मामले हैं उसी में से एक मामला प्रांजल बक्सी का हैं जो की पंडरिया में मलेरिया सुपर वाइजर हैं, वो हमेशा अपने कार्य से नदारत रहता हैं, फर्जी दस्तख्त करता हैं, इसकी शिकायत भी एक माह पूर्व, कलेक्टर से की गयी, जिसे कचरे के डिब्बे में डाल दिया गया, आखिर शिकायतों को गंभीरता से न लेने के कारण ही बेवजह भोले भाले, आमजनों, ग्रामीणों की मौत हो रही हैं,

वही जिले में खंड चिकित्सा अधिकारी मानवता की मिसाल डाक्टरों की कमी तो खुद इलाज करने भिड़ जाते हैं,बीएमओ डॉ.संजय खरसन, वो लगातार लोहारा में बेहतर सेवा दे रहे हैं, मगर
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लोहारा में चिकित्सा अधिकारी की काफी कमी है,यहां पदस्थापित चिकित्सा अधिकारी डॉ.प्रदीप साहू लंबे लगभग 5 वर्ष समय से जिला चिकित्सालय कबीरधाम में संलग्न है उच्च अधिकारियों के एकदम खास करीबी होने के कारण वे जिला चिकित्सालय में लंबे समय तक संलग्न हैं
जिसका लाभ लोहारा की जनता को नहीं मिल पा रहा है वहीं लोहारा बीएमओ डॉ संजय खरसन प्रशासनिक कार्य के साथ ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं की समीक्षा व ब्लाक जिले की बैठक समीक्षा के बाद आए दिन समय निकाल कर ओपीडी में मरीजों व देर रात आकस्मिक मरीजों की चिकित्सा में लगे रहते है,
जिला कलेक्टर व जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी को यह संज्ञान लेना चाहिए कि संलग्न चिकित्सा अधिकारी को उनके मूल पदस्थापना स्थल पर कार्य हेतु भेजा जाए ताकि आम जनों को उनका लाभ मिल सके.

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