पितृ पक्ष आरंभ : ऐसे करें पितरों को प्रसन्न, जानें व्यास पीठ पंडित श्री भोजराज शास्त्री जी से श्राद्ध की तिथियां और नियम और महत्व
पितृ पक्ष का प्रारंभ आज यानि 17 सितंबर मंगलवार से हो रहा है या फिर कल 18 सितंबर बुधवार से? यह सवाल काफी लोगों के मन में है क्योंकि सबसे बड़ी उलझन तिथि के कारण हो रही है. कई जगहों पर बताया गया है कि 17 सितंबर से पितृ पक्ष पक्ष शुरू हो रहा है क्योंकि भाद्रपद माह की पूर्णिमा की श्राद्ध तिथि आज है. लेकिन कई जगहों पर यह कहा जा रहा है कि पितृ पक्ष का प्रारंभ आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है, इसलिए इसकी शुरूआत कल 18 सितंबर से होगी. लोगों के कन्फ्यूजन को दूर कर रहे हैं बिलासपुर के व्यास पीठ पंडित श्री भोजराज शास्त्री जी।
17 नहीं, 18 सितंबर से शुरू है पितृ पक्ष 2024
पंडित श्री भोजराज शास्त्री जी का कहना है कि पितृ पक्ष का प्रारंभ भाद्रपद पूर्णिमा से नहीं होता है. फिर आज तो भाद्रपद का पूर्णिमा व्रत है. आज से पितृ पक्ष कैसे शुरू होगा? यह वही बात है कि शिशु का जन्म हुआ ही नहीं और उसके लिए मुंडन की तैयारी हो गई. इस साल आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को सुबह 8:41 बजे के बाद से शुरू हो रही है, तो पितृ पक्ष भी कल से ही शुरू है. पितृ पक्ष में किए जाने वाले तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि कर्म भी बुधवार से ही होंगे।
पंडित श्री भोजराज शास्त्री जी का कहना है कि हिंदू धर्म में निर्णय सिंधु एक प्रमाणिक पुस्तक है, जिसमें सैकड़ों प्रश्नों का जवाब दिया गया है. उसके अनुसार पितरों के लिए निर्धारित पितृ पक्ष आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है. भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष शुरू ही नहीं होता है, तो इसके 17 सितंबर से प्रारंभ होने की बात ही गलत है. आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को शुरु हो रही है, इसलिए पितृ पक्ष भी उस दिन से ही शुरू होगा. जो लोग आज से पितृ पक्ष का प्रारंभ बता रहे हैं, वह शास्त्र सम्मत नहीं माना जा सकता है.
आश्विन अमावस्या पर होगा पूर्णिमा का श्राद्ध
पंडित श्री भोजराज शास्त्री जी का ही कहना है कि जिन लोगों के पितरों का निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ है, वे लोग अपने पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि आश्विन अमावस्या को करेंगे. इसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना गया है. इस दिन ज्ञात और अज्ञात सभी तरह के पितरों का श्राद्ध होता है.
पितृ पक्ष 2024 की तिथियांपितृ पक्ष का प्रारंभ 18 सितंबर बुधवार से हो रहा है. वहीं पितृ पक्ष का समापन 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन होगा. उस दिन पितृ विसर्जन होगा.
प्रतिपदा का श्राद्ध: 18 सितंबरद्वितीया का श्राद्ध: 19 सितंबरतृतीया का श्राद्ध: 20 सितंबरचतुर्थी का श्राद्ध: 21 सितंबरपंचमी का श्राद्ध: 22 सितंबरषष्ठी का श्राद्ध: 23 सितंबरसप्तमी का श्राद्ध: 24 सितंबरअष्टमी का श्राद्ध: 25 सितंबरनवमी का श्राद्ध: 26 सितंबरदशमी का श्राद्ध: 27 सितंबरएकादशी का श्राद्ध: 28 सितंबरद्वादशी का श्राद्ध: 29 सितंबरत्रयोदशी का श्राद्ध: 30 सितंबरचतुर्दशी का श्राद्ध: 1 अक्टूबरअमावस्या/पूर्णिमा का श्राद्ध: 2 अक्टूबर
ऐसे करें पितरों को प्रसन्न ( Pitru Paksha 2024)
पुराणों में पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करना शुभ माना जाता है। इस दौरान पितरों को स्वाद और गंध के द्वारा प्रसन्न किया जाता है। इस दौरान पितरों को जल अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही तिल, चावल, कुश, जौ, गुड़, घी आदि कंडे को जलाकर अर्पित करते हैं। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
पितरों को ऐसे करें तर्पण (Pitru Paksha 2024 Tarpan Vidhi)
पितरों को जल अर्पित करने को तर्पण कहा जाता है। इस दौरान एक लोटे में जल में थोड़ा सा काला तिल डाल लें। इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हाथों में थोड़ी सी कुश लेकर पितर का ध्यान करके धीरे-धीरे अपने अंगूठे का इस्तेमाल करके जल अर्पित करें। इसके साथ ही ‘ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं गृह्णन्तु जलान्जलिम’का जाप करें। इसके बाद अन्न और वस्त्र का दान करें। इसके साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
पितृपक्ष के नियम (Dos And Donts Pitru Paksha 2024)
पितृपक्ष के दौरान कुछ नियमों का जरूर पालन करना चाहिए, वरना पितर रुष्ट हो जाते हैं।
- पितृ पक्ष के दौरान पितरों का सच्चे मन से मान-सम्मान करके जल, भोजन अर्पित करना चाहिए।
- पितृ पक्ष के दौरान कुश और काले तिल का इस्तेमाल अवश्य करें। इससे आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
- पितरों को हमेशा हल्के सुगंध वाले फूल ही अर्पित करें।
- पितरों का तर्पण या पिंडदान दक्षिण दिशा की ओर ही करना चाहिए, क्योंकि ये दिशा पितरों की होती है।
- पितृपक्ष के दौरान गीता का पाठ करना काफी शुभ माना जाता है।
प्रतिपदा श्राद्ध 18 सितंबर को, जानें इस तिथि का महत्व, दान, तर्पण व श्राद्ध के शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है। पितृ पक्ष 18 सितंबर से 2 अक्तूबर 2024 तक रहेंगे। पितृपक्ष का पहला दिन या प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर 2024, बुधवार को है। इसे पड़वा श्राद्ध भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, श्राद्धों या तर्पण अनुष्ठान को संपन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ माने गए हैं। कहा जाता है कि अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध संबंधी अनुष्ठान संपन्न कर लेने चाहिए। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है। जानें प्रतिपदा श्राद्ध का महत्व व दान, तर्पण व श्राद्ध के शुभ मुहूर्त-
प्रतिपदा तिथि कब से कब तक- प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर 2024 को सुबह 08 बजकर 04 मिनट पर प्रारंभ होगी और 19 सितंबर 2024 को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी।
प्रतिपदा श्राद्ध का महत्व-
प्रतिपदा श्राद्ध परिवार के उन पूर्वजों या पितरों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई होती है। मान्यता है कि इस श्राद्ध को करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पितरों को तृत्ति मिलने की भी मान्यता है। दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए इस दिन तर्पण, पिंडदान अनुष्ठान किया जाता है।
प्रतिपदा तिथि को कर सकते हैं नाना-नानी का श्राद्ध: पितृपक्ष की प्रतिपदा तिथि को नाना-नानी का श्राद्ध भी किया जा सकता है। अगर मातृ पक्ष में श्राद्ध के लिए कोई व्यक्ति नहीं है, तो इस तिथि पर नाना-नानी का श्राद्ध करना अत्यंत शुभ माना गया है।
प्रतिपदा श्राद्ध के शुभ मुहूर्त- 18 सितंबर 2024 को श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए कुतुप मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। रौहिण मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से दोपहर 01 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। अपराह्न काल दोपहर 01 बजकर 27 मिनट तक दोपहर 03 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।