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पॉजिटिव पुलिसिंग:कुछ नक्सल जिलों में खेल की ट्रेनिंग, कहीं प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग तो कहीं नशे के खिलाफ अभियान

पुलिस का काम अपराध को काबू में करना और लोगों में सुरक्षा का एहसास करवाना तो है ही, इसके अलावा कुछ जिलों में पुलिस ऐसे अभियान भी छेड़े हुए है, जो युवाओं की करियर बनाने में मदद कर रहे हैं, खेलों में आगे बढ़ने के मौके दे रहे हैं, नक्सल इलाकों में फोर्स में भर्ती की ट्रेनिंग दे रहे हैं तो कहीं-कहीं उन्हें नशे से दूर करने की मुहिम भी चला रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि अपराधों पर नियंत्रण के साथ-साथ युवाओं की आदतें काबू में रहें और करियर की दिशा में आगे बढ़ाकर अपराध में शामिल होने की आशंकाओं को शून्य के करीब लाया जा सके।

पाॅजिटिव पुलिस का कांसेप्ट कई जगह चल रहे हैं, लेकिन मुंगेली, कवर्धा, सुकमा, कोरबा और नारायणपुर जैसे जिलों में वहां वर्तमान में पदस्थ पुलिस अधीक्षकों की इस कोशिश अब महाभियान में बदल चुकी है। इन जिलों में क्या कोशिश चल रही है और क्या नतीजे मिल रहे हैं।

कवर्धा- प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग, 500 बच्चों को नौकरी

आईपीएस डी. रविशंकर ने कवर्धा एसपी रहते हुए ग्रामीण युवाओं को पीएससी समेत प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग शुरू करवाई। पुलिस, अर्द्धसैनिक बल और सेना में चयन के लिए ट्रेनिंग दी गई। मौजूदा एसपी आईपीएस डा. लाल उमेद सिंह ने आगे बढ़ाया। कवर्धा मुख्यालय में इन बच्चों के रहने और पढ़ने के लिए भवन बनवाए गए हैं।

कोचिंग सेंटर और लाइब्रेरी बनाकर उन्हें ज्यादा से ज्यादा रिच किया जा रहा है। जंगलों के भीतर जहां स्कूल नहीं, वहां पुलिसवालों ने न सिर्फ स्कूल भवन बनाने में मदद की है, बल्कि जाकर पढ़ा भी रहे हैं। 10वीं और 12वीं के बच्चों को ओपन स्कूल की फीस देकर परीक्षा दिलवा रहे हैं। अब तक 500 से ज्यादा युवाओं की सरकारी नौकरी लग गई है।

सुकमा- बस्तर फाइटर्स और सीआरपीएफ भर्ती की ट्रेनिंग

नक्सलगढ़ सुकमा में मौजूदा एसपी आईपीएस सुनील शर्मा ने युवाओं को नक्सलियों से दूर करने की कोशिश तो शुरू की ही है, फोर्स में भर्ती के जरिए उन्हें मुख्यधारा में लाने का बड़ा प्रयोग भी किया है, जो अूब कामयाब होने लगा है। सुकमा में बच्चों और युवाओं को सरकारी नौकरी के साथ-साथ फोर्स में सलेक्ट होने लायक ट्रेनिंग दी जा रही है।

इसमें फिजिकल ट्रेनिंग भी शामिल है। उन्हें पढ़ाया भी जा रहा है। इस अभियान के तहत 500 से ज्यादा बच्चों-युवाओं को बस्तर फाइटर्स फोर्स में भर्ती के लिए 8 माह तक सुकमा में रखा। इनमें से ज्यादातर सलेक्ट हो गए। यही नहीं, सुकमा में सालभर के भीतर 600 से ज्यादा नक्सलियों का सरेंडर हुआ है और सभी रोजगार की तरफ बढ़ गए हैं।

कोरबा- नशे से युवाओं को दूर करने के लिए चल रहा है निजात अभियान

आईपीएस संतोष सिंह जब राजनांदगांव में पोस्टेड थे, तो उन्होंने नशामुक्ति के लिए अभियान चलाया। निजात के नाम से शुरू किया गया यह अभियान सराहा गया। नशा तस्करों पर कार्रवाई के साथ-साथ नशा छोड़ने का जागरुकता अभियान इस मुहिम की खासियत रही। अब वे कोरबा एसपी हैं और वहां भी यह अभियान चल रहा है।

नशामुक्ति के इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चुका है। नए जिले खैरागढ़ में हाल में एसपी के रूप में पदस्थ हुई आईपीएस अंकिता शर्मा ने बच्चियों को कराटे सिखाने का अभियान बाकायदा शुरू किया है। इसी तरह, नारायणपुर एसपी पी. सदानंद यूपीएसएसी-पीएससी की फ्री कोचिंग शुरू करने के साथ खुद पढ़ा भी रहे हैं।

मुंगेली- बैगा, ग्रामीण युवा खेल में पहुंच गए स्टेट लेवल पर

मुंगेली में नशे का कारोबार काफी फैला है। इसे रोकने के साथ-साथ पुलिस ने युवाओं को इससे अलग करने के लिए कई तरह की ट्रेनिंग शुरू की है। बैगा जनजाति, आदिवासी और ग्रामीण युवा-बच्चों को अलग- अलग मलखंभ, सिलंबम, ताइक्वांडो और कराटे सिखा रहे हैं। स्थिति यह है कि 5 माह से भी कम समय में 200 लड़के-लड़कियों को स्ट्रेस से बचाने मलखंभ की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। मुंगेली एसपी चंद्रमोहन सिंह के बज्जर मुंगेली (मजबूत मुंगेली) अभियान के तहत इस तरह की ट्रेनिंग के लिए एक मैदान तैयार हुआ है। दिल्ली से ट्रेनर बुलाए गए हैं। 200 से ज्यादा बच्चे ट्रेनिंग ले चुके हैं। अब तक 14 युवा संभाग-राज्य स्तर पर मैडल ला चुके हैं और नेशनल गेम्स की तैयारी कर रहे हैं।

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